Thursday, May 16, 2019

मेरा पहला प्यार

बस उम्र की दहलीज़ पकड़ कर ,
दो राहें पर जाने वाले थे ,
नन्हा था दिल ज़रूर मेरा ,
पर हम ठहरे दिल वाले थे ।

हमने देखा जो पहली दफ़ा उसे ,
उसकी सुलझी ज़ुल्फ़ें .. मासूम निगाहे ,
किसी कोने में चुप चाप खड़ी थी ,
मेरी निगाहों को क़रीब जाने की हड़बड़ी थी ।

पहली दफ़ा धड़का था दिल मेरा ,
कुछ अलग से अन्दाज़ में ,
मालूम नहीं था हो गया इश्क़ ,
इसी आग़ाज़ में ।

उसके गालों का तिल और थिरकते क़दम ,
हम सब उसपर लूटा चुके थे ,
मालूम नहीं होता जब ख़ुद का पता ,
उस उम्र में उसे दिल में बसा चुके थे ।

आज मिल गई मुझे मंज़िल ... लगा ऐसा ,
जब पहली दफ़ा वो पास मेरे आई थी ,
सुनसान से थे जज़्बात और लम्हे ,
पर प्यार में सच्चाई थी ।

जब कोयल सी लगी बोली मीठी उसकी ,
बस मैं ख़्वाबों में खो गया ,
कहा था पहली दफ़ा कुछ उसने मुझसे ,
सुन जिसे इश्क़ में उसके.. मैं रो गया ।

खोना ना कभी सीखा था ,
और पाना लगा अब ना होगा मुमकिन ,
रंग लिये हाँथों में लाल ,
भर दी माँग मैंने उसी दिन ।।

उस दिन के बाद ,
हर पल वो दूर जाने लगी ,
बड़ती उम्र के साथ दिल लगाने लगी ,
हुआ मालूम तब इस दिल को कही ...,
कमबख़्त एक तरफ़ा सी थी पहली मोहब्बत मेरी ।। 

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