Saturday, March 14, 2020

ख़ुशबू


मोहब्बत दिल के धड़कनो से ,
होती है मालूम सिर्फ़ ,
ऐसा बिलकुल नहीं ,
ख़ुशबू तेरी , मेरी साँसो में ,
धड़कनो को धड़का रही ।

जो गुज़री तो क़रीब से मेरे ,
ना तेरा दीदार हुआ ,
ना ही नज़रें दो चार हो गई ,
फिर भी दिल तू धड़का गई ,
तेरी ख़ुशबू साँसो में बसने को आ गई ।

मोहब्बत देगी दस्तक फिरसे ,
कुछ इस अन्दाज़ में ,
मालूम नहीं था धड़केगा दिल ,
ख़ातिर , ख़ुशबू लपेटे लिबाज में ।

क्यूँकि अब इस झट पट वाली मोहब्बत को ,
कोई एक नाम चाहिये था ,
निगाहों में बसाने को तस्वीर उसकी ,
उसकी निगाहों से पैग़ाम चाहिये था ।

उस भीड़ में जितना वो ,
मुझसे दूर जा रही थी ,
ख़ुशबू उसकी मुझे ,
उतना ही क़रीब ला रही थी ।

आख़िर निगाहों ने कोशिश कर ,
दिल को और धड़का दिया ,
जब निगाहों ने उसकी निगाहों में ,
ख़ुद को उलझा दिया ।

उसकी ख़ुशबू और वो ख़ूबसूरत आँखें ,
हम अपना सब लूटा बैठे थे ,
एक दफ़ा फिर अजनबी से ,
दिल टूटने को लगा बैठे थे ।

ग़लतफ़हमी थी मेरी ,
की दिल इस बार भी टूट जायेगा ,
था नहीं मालूम ,
ख़ुशबू रूह में बस कर ,
ताउम्र वो मेरा हो जायेगा ।

तेरी ख़ुशबू से अब होती हर सुबह ,
और शाम है ,
फेरती उँगलियाँ तेरी सर पर मेरे ,
देती आराम है ।

तेरी ख़ुशबू .. !!