Friday, March 27, 2020

फ़रेबी

जो ये फ़रेब करता दिल ,
जा एक रोज़ ,
फ़रेबी दिल से मिला था ,
हो रही फ़रमाइशों के बीच ,
वो मेरी पसंद बन चुका था ।

धड़कने को धड़कन ,
धड़क भी जाता ,
मेरा हो चुका दिल ,
मुझसे मिलने को भी आता ।

पर ये एहसास ख़्वाब ही रह गये ,
ना जाने क्यूँ वो हमसे दूर हो गये ,
ना फ़रेब था मेरी इरादो में ,
ना ही किये किन्हीं वादों मे ।

कुछ तो था दरमियाँ दिलों के ,
वक़्त जिसे थामे खड़ा था ,
लूटा चुका अपनी ज़िंदगी मुझपर जो ,
वो बेख़बर किसी और के ख़्यालों मे पड़ा था ।

सपना था जो टूट चुका ,
मेरा माही मुझसे रूठ चुका ,
दिल फिर लगाया होगा उनसे उसने ,
फ़रेब समझ छोड़ दिया होगा जिसने ।

ये जंग है दिल की ,
जिसमे हार कर भी जीत जाते है ,
जीत कर भी अक्सर ,
दिलवाले हार जाते है ।

ये फ़रेबी दिल ,
फिर निकल पड़ा है ,
लूटने को दिल धड़कनो से ,
तैयार पड़ा है ।

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