मोहब्बत हो ग़ैर की तुम ,
तुम मेरी मोहब्बत हो ,
शाम हो अंधेरी सी तुम ,
मेरी जुगनुओं सी मोहब्बत हो ।
समझना नहीं आसान तुमको ,
तुमको समझाना है नामुमकिन ,
मोहब्बत की फ़रियाद लिये बैठी तुम ,
और गिनते हम हर गुज़रता दिन ।
कभी हम पास , कभी तुम दूर ,
कभी हो वजह , कभी नामंज़ूर ,
कभी वो लम्हे , कभी तेरी यादें ,
कभी तेरे वादे , कभी हम आधे ।
तेरी ख़ुशबू हो या तेरा एहसास ,
तेरी तिरछी निगाहे या बेहद पास ,
तेरा हँसना या हँसाना ,
मुश्किल है , पर , है तो निभाना ।
क़रीब तेरे जिस्म के नहीं ,
तेरी रूह के पास आना है ,
बेवजह ही सही ,
पर हर मर्ज़ की दवा बन जाना है ।
माना की मुश्किल होगी समझने में ,
पर समझ कर दिखाओ ,
क़रीब हो कर भी होते है दूर जो ,
हाले दिल कभी उनसे पुछ आओ ।
मोहब्बत है कोई और तुम्हारा ,
मोहब्बत हो मेरी तुम ,
हो कर भी एहसास क़रीब दिल के ,
धड़कने है गुमसुम ।।
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