Friday, August 14, 2020

क़रीब

मोहब्बत हो ग़ैर की तुम ,

तुम मेरी मोहब्बत हो ,

शाम हो अंधेरी सी तुम ,

मेरी जुगनुओं सी मोहब्बत हो ।


समझना नहीं आसान तुमको ,

तुमको समझाना है नामुमकिन ,

मोहब्बत की फ़रियाद लिये बैठी तुम ,

और गिनते हम हर गुज़रता दिन । 


कभी हम पास , कभी तुम दूर ,

कभी हो वजह , कभी नामंज़ूर  ,

कभी वो लम्हे , कभी तेरी यादें ,

कभी तेरे वादे , कभी हम आधे ।


तेरी ख़ुशबू हो या तेरा एहसास ,

तेरी तिरछी निगाहे या बेहद पास ,

तेरा हँसना या हँसाना ,

मुश्किल है , पर , है तो निभाना ।


क़रीब तेरे जिस्म के नहीं ,

तेरी रूह के पास आना है ,

बेवजह ही सही ,

पर हर मर्ज़ की दवा बन जाना है ।


माना की मुश्किल होगी समझने में ,

पर समझ कर दिखाओ ,

क़रीब हो कर भी होते है दूर जो ,

हाले दिल कभी उनसे पुछ आओ ।


मोहब्बत है कोई और तुम्हारा ,

मोहब्बत हो मेरी तुम ,

हो कर भी एहसास क़रीब दिल के ,

धड़कने है गुमसुम ।।

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