माना की इश्क़ में मुश्किलें है बहुत ,
पर करना भी ज़रूरी है ,
ख़ातिर रखने को किसी का दिल ,
किसी का तोड़ना भी ज़रूरी है ।
है एतबार इश्क़ पर उसके इतना ,
हम सब लूटा बैठे है ,
तोड़ कर अपनी ही ख़्वाहिशों को ,
उसकी ख़ुशियों को ही ख़्वाहिश बना बैठे है ।
ना रास्तों का पता ,ना ही कोई ठिकाना ,
अजनबी से लोग और दिल अंजाना ,
फिर भी पैरों के निशा तलाश कर ,
ढूँढ रहा दिल कोई अपना दीवाना ।
ग़ौर से ग़ैर को देख कर भी ,
नज़रें अक्सर लड़ा लिया करते है ,
अजनबी है बहुत महफ़िल में ,
अक्सर दिल चुरा लिया करते है ।
इश्क़ में उलझ कर हर एक दिल ,
किसी रोज़ क़ुर्बान होता है ,
किसी से होती है बेपनाह मोहब्बत ,
तो कोई इश्क़ बेवफ़ा , बदनाम होता है ।
इश्क़ तो हर दिल को होता ,
कभी हँसता कभी रोता है ।।
1 comment:
waah
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