Friday, January 8, 2021

तुम

पहली दफा मिले भी तो ,

हम मिले कैसे ,

अजनबी के महज एक स्पर्श से ,

हम उसके हुए कैसे ?


सफर का सफल होना जरूरी नहीं होता ,

गर साथ लिखा ही कुछ पल का होता ,

होता है साथ तो बस लम्हें और याद ,

और कुछ अधूरे अल्फ़ाज़ ।


तेरा यूं अक्सर नजरों से छेड़ना मुझे ,

बेवजह अरमानों को तोड़ना मेरे ,

डर कर थामना तेरा हाथ ,

और वो आख़िरी मुलाकात ।


था बहुत कुछ जो तेरा हो गया ,

जाने पर बहुत अधूरा रह गया ,

पर साथ जो आज भी है मेरे ,

वो होकर भी तेरा मेरा हो गया ।


अब रास्ते बदल गए ,

वास्ते बदल गए ,

हम भी बदल गए ,

और तुम भी बदल गए ।


बस जो नहीं बदला ,

वो है तुम्हारा गहना ,

तुम्हारी आंखो से नहीं ,

कोई और खूबसूरत गहना ।।

No comments: