पहली दफा मिले भी तो ,
हम मिले कैसे ,
अजनबी के महज एक स्पर्श से ,
हम उसके हुए कैसे ?
सफर का सफल होना जरूरी नहीं होता ,
गर साथ लिखा ही कुछ पल का होता ,
होता है साथ तो बस लम्हें और याद ,
और कुछ अधूरे अल्फ़ाज़ ।
तेरा यूं अक्सर नजरों से छेड़ना मुझे ,
बेवजह अरमानों को तोड़ना मेरे ,
डर कर थामना तेरा हाथ ,
और वो आख़िरी मुलाकात ।
था बहुत कुछ जो तेरा हो गया ,
जाने पर बहुत अधूरा रह गया ,
पर साथ जो आज भी है मेरे ,
वो होकर भी तेरा मेरा हो गया ।
अब रास्ते बदल गए ,
वास्ते बदल गए ,
हम भी बदल गए ,
और तुम भी बदल गए ।
बस जो नहीं बदला ,
वो है तुम्हारा गहना ,
तुम्हारी आंखो से नहीं ,
कोई और खूबसूरत गहना ।।
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