Sunday, January 10, 2021

चेहरा


बहुत से अनगिनत सवाल लिए ,

खुद को खुशियां से सवार रही ,

जुल्फे भी है सुझली सुलझी ,

और बहते काजल की धार नहीं ।


आंखों में है कुछ नमी जरूर ,

और पलकों पर बिखरे काजल ,

संभाले जज्बातों को अपने ,

मुस्कुरा रही वो पागल ।


कल की खुशियां आज नहीं ,

आज की खुशियों का कोई कल नहीं ,

और उलझी जिन राहों में वो ,

उन राहों में मंजिल नहीं ।


खुल के हंसना भूल गई जो,

रोना जिसको याद नहीं ,

लम्हों की मोहताज है जो ,

पल भर भी कोई साथ नहीं ।


अनगिनत जज्बातों के ,

लाखों सजाए वादों के ,

कब तक यूंही चलता जायेगा ,

एक रोज़ तो चहरे से नकाब हट जायेगा ।


बेहतर है कल से ना मांगो कुछ ,

ना कल के लिए कुछ सजाओ ,

है बिखरा जरूर कल या था ,

आज , अभी तो मुस्कुराओ ।


तस्वीरों से बया होती कहानियां ,

अब समझ आने लगी है ,

चहरे पे छिपे जज्बात ,

बया कर जाने लगी हैं ।।

No comments: