तेरी हंसी ही काफी थी ,
मेरे जी जाने के लिए ,
तेरी खुशी ही काफी थी ,
मेरे मुस्कुराने के लिए ।
पर जब बिखरा दिल मेरा ,
अनगिनत टुकड़ों में बेवजह ,
तुम एक दफा भी ना आई ,
जान कर ये भी ,
की थी छिपी टुकड़ों में तेरी परछाई ।
बस इतनी सी थी फरियाद ,
हर दफा इस दिल की तुमसे ,
की तुम एक बार मुड़ जाओ ,
एक बार फिर से मुस्कुराओ ।
यकीन मानो अब इस दिल को ,
तेरा जिक्र भी मंजूर नहीं ,
मुस्कुराहट पे मरता था जरूर दिल ,
पर अब मरना बेफिजूल नहीं ।
तुम हो जाओ बेसक किसी और की ,
या कोई और तुम्हारा हो जाए ,
फर्क नहीं पड़ता इस दिल को अब ,
कौन किसके दिल में बस जाए ।
गर मिल जाए मुझसा कोई और ,
दिल मत लगाना ,
बेवजह आदतन तोड़ कर एक और दिल ,
बेवफा ना कहलाना ।।
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