चल उठ खड़ा हो साथी ,
अभी दौड़ बाकी है ,
हैं बहुत सी आने वाली मुश्किल ,
जिनसे लड़ना बाकी है ।
रख हौसला और खुद पर भरोसा ,
वक्त ये भी गुजर जायेगा ,
सब्र रख इस इम्तिहां का भी ,
नतीजा एक रोज़ आयेगा ।
माना की राहों में है ककड़ पड़े ,
पावों पर पड़े है छाले ,
आसमा में धूप भी जला रही ,
और आंखो से मिट रहे उजाले ।
डगमगाता हर पग मंजिल की ओर ,
रास्ता और गुमनाम सा लग रहा होगा ,
आखिरी उम्मीद समझ छोड़ मत देना कोशिश ,
क्योंकि आगे तजुर्बे का मंच सज रहा होगा ।
जख्म हो रहा और गहरा तो होने देना ,
खाली पेट अगर सोना पड़े तो सोने देना ,
बह रहे आंसू और रो रही हो रूह तो रोने देना ,
बस हारना नहीं खुद से और ना हौसला खोने देना ।
जिंदगी के इस दौड़ में ,
एक रोज़ ऐसा आयेगा ,
सोच इन बीते लम्हों को ,
तू मुस्कुराएगा ..
बस रखना भरोसा और हौसला !!
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