Wednesday, March 30, 2022

कंधा

देख कर तेरी आंखों में ,
वो कल याद आने लगा ,
बीता हर पल संग तेरे ,
अब मुझे सताने लगा ।

चंद पल के साथ में ,
जिंदगी भर का एहसास था ,
दूर हो कर भी मुझसे ,
तेरा हर एक लम्हा मेरे पास था ।

देखती निगाहें तेरी मुझे ,
आज फिर पुकार रही हैं ,
नजरों में बसा कर अपने ,
दिल में उतार रही हैं ।

आसमान में तारे आज कुछ ,
कम टिमटिमा रहें है ,
चांद से शायद ,
तुझ जैसे वो भी शर्मा रहें हैं ।

आंखो से बहते आंसू ,
मोती बन कर गालों पे आ रहें ,
और फेर कर उंगलियां जिनपर ,
हम हाथों से सहला रहें ।

किस्सा एक और दर्द का ,
वो मुझे सुना रही है ,
छोड़ कर अपनी मोहब्बत को ,
मेरे पास आ रही है ।

इश्क़ में अक्सर कंधा ,
बेहतर इश्क़ निभाता है ,
चंद पल के साथ में ,
जिंदगी भर का एहसास छोड़ जाता है ।

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