Monday, August 12, 2013

तेरा स्पर्श


तेरा वो गालो पर पहेला स्पर्श ,
दिल मे तूफ़ान भड़का गया ,
छोड़ गई थी जो होठो के निशा ,
आइने मे देखते ही उन्हे ,
वो इजहारे मोहब्बत करा गया .

मै क्यों नहीं तुझे समझ पाया था ,
क्यों मैने तुझे इतना सताया था ,
शायद ये स्पर्श ही था ,
जिसने तेरी मोहब्बत का मुझे एहसास दिलाया था .

तेरी आंखो मे देख कर ख़ुशी ,
जब उनमे खुद को तलाशने लगा ,
मै तो तेरी आंखो मे बसा हु ,
तब ये राज़ पता चला .

दिल मे उठे इस तूफ़ान को ,
कैसे मै काबू मे लाऊ ,
दिल मे छिपे बातो को ,
अल्फाजो मे कैसे सजाऊ .

मोहब्बत तो तब से थी तुझसे ,
जब से थी तुझे मुझसे ,
पर मे कैसे तुझे बताता ,
मुझे तो इश्क का इज़हार भी करने नहीं था आता .

तेरे संग बिताये वो कुछ हसीन पल ,
क्यों हर पल अब उस पल सा लगता है ,
ज़िन्दगी में आने से तेरे ,
फिर से जीने का दिल करता है .

ये स्पर्श जो भी है ,
पर इसमे एक सच्चाई है ,
अंजान दो दिलो को ,
करीब लाई है . 

मे अपने इस हसीन एहसास को ,
अल्फाजो मे कैसे सजाऊ ,
दिल करता है मेरा ,
तेरे जैसे ही मै भी ,
तेरे गालो पर एक स्पर्श छोड़ जाऊ . 

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