Friday, August 2, 2013

शुक्रिया एहसास

मैंने इश्क का इज़हार तो कर दिया उससे ,
पर निभा ना सका ,
महसूस तो कर लिया उसे हद तक ,
पर पा न सका .

हर पल हर लम्हा अब भी याद है हमे ,
जब बावले आशिक थे हम तेरे ,
पर ये क्या से क्या हो गया ,
जब मुझे तुझमे खोना था ,
मै खुद मे खो गया .

हर सुबह जब तेरी आवाज़ ,
मेरी कॉनो मे चहचहाटी थी ,
आंखो में तेरा चहेरा आते ही ,
चहरे पर ख़ुशी खुद बखुद आ जाती थी .

वक़्त वो भी था जब ,
मै तुझे अक्सर रुलाता था  ,
सिर्फ कभी कभी हँसाता था ,
फिर भी तेरा साया हर वक़्त ,
मुझ पर नज़र आता था .

तेरा एहसास एक पहेली बन गयी ,
समझ नहीं आया ,
ज़िन्दगी मे तू क्यों आई ,
और फिर निकल गई .

सोच कर बाते तेरी ,
स्याही पन्नो पर फ़ैल जाती है ,
पन्ने पर फैले लिखे शब्द मेरे ,
बहते आशुओ की गवाही दे जाती है .

मै क्या कहू तुझसे ,
बस इन ही कहना है ,
ऐ एहसास तुझ बिन ही अब मुझे रहेना है ,
बस तुझे मुझसे दूर जाने के लिए ,
"" शुक्रिया "" कहना है .

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