Thursday, September 11, 2014

कल्पना की कल्पना

सोचा ना था कभी ,
वो फिर लौट कर आएगी ,
जब गुजर रहा है वक़्त तन्हाइयो से भरा ,
तब वो अपनी मौजूदगी से उन्हे मिटाएगी .

यु तो हम आज अनजान से है ,
पर दिल का रिश्ता बहुत पुराना है ,
ख़फ़ा हो कर चली गयी थी उर रोज़ ,
पर दिल आज भी उसका दीवाना है .

वक़्त के कमाल को बस देख रहा हु ,
कल तक जो दूर थी बहुत ,
करीब आने पर उसके ,
ठण्ड पड़ी निगाहों को ,
उसकी खूबसूरती से सेक रहा हु .

तुझ संग अरसो बाद ,
आज हम अलफ़ाज़ सजा रहे थे ,
पर दूर जितने थे तुझसे ,
खुद को तेरे उतना ही करीब पा रहे थे .

तेरी आंखो में जो नशा तब था ,
आज जहर बन जहन मे उतर गया ,
खूबसरती तेरी मुस्कान से जो जुडी थी ,
आज एक बार फिर मेरा  ,
हाल-ए-दिल कह गया .

यु तो तेरे आने से मुझे  ,
डर तेरे फिर से जाने का लग रहा है,
पर लगता है नहीं पड़ेगी जरुरत ,
किसी और फेवीक्विक की अब कभी ,
ऐसा मेरा दिल कह रहा है .

जो मोह्हबत कल थी हमारे दरमियाँ ,
काश वो फिर लौट आये ,
अब हर सुबह तुझसे शुरू हो ,
और हर शाम तुझपे ख़त्म हो जाए .


LOL ;) 



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