Friday, August 16, 2019

आज़ादी

वाह रो लिया मैंने आज के मातम पर ,
कल की चीख़ पर बहरा गया था ,
थे वो भी इंसा लूटी थी अबरू जिनकी ,
बेघर सड़क पर आ पड़े थे ,
लाखों छोड़ घर अपना जब जा रहे थे ।

ख़ैर आप को क्या ,
आप आज उनकी चीखे सुन लीजिये ,
छिने नहीं घर , ना लूटी आबरू ,
आप उनके सिने पर ही रख सर रो लीजिये ।

याद है आज भी हर क़ुर्बानी ,
चाहे हो शहीद औरंगज़ेब या
कोई बुरहॉन वानी ,
देखा था मंज़र मिट्टी में मिलते दोनो को ,
एक पर जहाँ चंद जनाज़े तक आये थे ,
वही दूसरे के मौत पर “वो “ भीड़ लाये थे ।

शहीदों की बात ना करे तो बेहतर होगा ,
खोया हैं लाखों ने अपनो को ,
ख़ैर आप को उनकी चीख़ो से क्या होगा ।

मना लीजिये मातम आप आज पर ,
शायद सुकून मिल जाये ,
आज़ाद हुआ “ताज” भारत का ,
फिर ग़ुलाम ना हो जायें ।

ख़ैर आप को क्या आज़ाद भारत से ,
आप तो पिंजरे में क़ैद ,
मंदिर मस्जिद में उलझने वाले  ,
मालूम होते है ।।

इंसानियत ना सही तो कोई बात नहीं ,
मिट्टी का क़र्ज़ निभा जाओ ,
माँ भारती के वीरों के बलिदानो को ,
यू मिट्टी में ना मिलाओ ।

हुआ है भारत एक जहाँ अब ,
आओ वही भारत बनाते है ,
जहाँ है एक धर्म एक मजहब ,
सब भारतीय कहलाते है ।

और हाँ ...
नहीं जीता कोई आज़ाद देश हमने ,
अपनो को आज़ाद कराया है ,
भारत माँ के शीश पर ,
आज़ादी का तिलक लगाया है ।

जय हिंद जय भारत