Saturday, January 11, 2020

शायद


दिल के लगने से ,
दिल के बिछड़ने तक ,
मुझसे मिलने और
उनसे जुलने तक ।

मेरी पहली मुलाक़ात ,
से आज फिर वो मिल रहे होंगे ,
मेरे जाने पर ,
मोम से जज़्बात पिघल रहे होंगे ।

होगा हाथ फिर थामा मेरा ,
बड़ी शिद्दत से आज उन्होंने ,
कसमें भी ख़ूब खा रहे होंगे ,
ख़्वाब फिर सज़ा रहे होंगे ।

ख़ुशबू से मेरे महक रहा होगा शमा ,
और अल्फ़ाज़ो से वो सज़ा रहे होंगे ,
पिघल कर बहने को आ रहे जज़्बात ,
आँखों में दिखा रहे होंगे ।

क्यूँकि जाना ज़रूरी है अब ,
वो रुकने को मिन्नते किये जा रहे होंगे ,
आख़िरी नो हो मुलाक़ात ये ,
फ़ैसला कुछ ऐसा सुना रहे होंगे ।

मैं तो आज भी हु वही वैसे खड़ी ,
बस वो कोई और मुझ सा ढूँढ लाये होंगे ,
भूल कर तस्वीर मेरी ,
पहली हो मोहब्बत मेरी .. पहेली बुझाये होंगे ।

शायद मुझसे मिलने भी पहली दफ़ा ,
किसी मैं को छोड़ आये होंगे ,
मेरे संग बीते हर लम्हे को ,
कही और जी कर आये होंगे ।

शायद .. आज फिर मुझसे मिलने ,
वो कहीं आये होंगे !!

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