तेरी आँखो में आज देखा था पहली दफ़ा .. शायद ,
कुछ मुस्कुरा सी रही थी ,
जज़्बात छिपा सी रही थी ,
ख़्वाब सज़ा सी रही थी ,
तेरी आँखो में देखा था पहली दफ़ा आज .. शायद !!
यू तो देखते थे कई दफ़ा तुमको ,
तुम्हारे भेजे ख़त में ,
पर कभी ठीक से निहार नहीं पाये ,
शायद आँखो में तुझे उतार नहीं पाये ।
गुमनामी के रिश्तों में उलझें ,
हुए हमारे तार है ,
अजनबी आज भी हो तुम मेरे लिये ,
बातें यू हो जाती दो चार है ।
कभी देखा ना ग़ौर से इतना ,
या शायद कुछ नया सा एहसास है ,
तेरी आँखो में बसी उसकी मोहब्बत ,
या काजल का रंग कुछ ख़ास है ।
आँखो से बातें करने उसके ,
अब हम नहीं जाते ,
दिल में बसी तस्वीर उसकी ,
देखते ही अजनबी बन रुक जाते ।
देखा था ग़ौर से तेरी आँखो में आज ...
शायद ,
ख़ूबसूरत है वो तेरी मोहब्बत सी !!!
कुछ मुस्कुरा सी रही थी ,
जज़्बात छिपा सी रही थी ,
ख़्वाब सज़ा सी रही थी ,
तेरी आँखो में देखा था पहली दफ़ा आज .. शायद !!
यू तो देखते थे कई दफ़ा तुमको ,
तुम्हारे भेजे ख़त में ,
पर कभी ठीक से निहार नहीं पाये ,
शायद आँखो में तुझे उतार नहीं पाये ।
गुमनामी के रिश्तों में उलझें ,
हुए हमारे तार है ,
अजनबी आज भी हो तुम मेरे लिये ,
बातें यू हो जाती दो चार है ।
कभी देखा ना ग़ौर से इतना ,
या शायद कुछ नया सा एहसास है ,
तेरी आँखो में बसी उसकी मोहब्बत ,
या काजल का रंग कुछ ख़ास है ।
आँखो से बातें करने उसके ,
अब हम नहीं जाते ,
दिल में बसी तस्वीर उसकी ,
देखते ही अजनबी बन रुक जाते ।
देखा था ग़ौर से तेरी आँखो में आज ...
शायद ,
ख़ूबसूरत है वो तेरी मोहब्बत सी !!!
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