Monday, January 6, 2020

वो आँखे

तेरी आँखो में आज देखा था पहली दफ़ा .. शायद ,
कुछ मुस्कुरा सी रही थी ,
जज़्बात छिपा सी रही थी ,
ख़्वाब सज़ा सी रही थी ,
तेरी आँखो में देखा था पहली दफ़ा आज .. शायद !!

यू तो देखते थे कई दफ़ा तुमको ,
तुम्हारे भेजे ख़त में ,
पर कभी ठीक से निहार नहीं पाये ,
शायद आँखो में तुझे उतार नहीं पाये ।

गुमनामी के रिश्तों में उलझें ,
हुए हमारे तार है ,
अजनबी आज भी हो तुम मेरे लिये ,
बातें यू हो जाती दो चार है ।

कभी देखा ना ग़ौर से इतना ,
या शायद कुछ नया सा एहसास है ,
तेरी आँखो में बसी उसकी मोहब्बत ,
या काजल का रंग कुछ ख़ास है ।

आँखो से बातें करने उसके ,
अब हम नहीं जाते ,
दिल में बसी तस्वीर उसकी ,
देखते ही अजनबी बन रुक जाते ।

देखा था ग़ौर से तेरी आँखो में आज ...
शायद ,
ख़ूबसूरत है वो तेरी मोहब्बत सी !!!

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