जिस रोज़ मिले ख़बर मेरे मौत की,
चंद शब्दों के फ़ूल छोड़ जाना।
रिश्ता जो निभाया ना कभी,
उसपर इमोटिकॉन्स वाले आँसू बहाना।।
ज़िंदगी के मतलब को,
मर कर कैसे जताते हैं ।
सीख लो कला ये उनसे,
जो मौत के बाद ज़िंदगी मे आते हैं।।
था परेशान बहुत उस दौर में,
कहानियाँ भी थी अनगिनत ।
पर किसको सुनाता,
ज़िंदा रहने पर मिलने कौन है आता।।
चलो अब तो वो शोर भी,
दफ़्न मेरे अंदर ही हो गया।
मौत की बाँहों मे जाकर,
जिस पल मैं सो गया।।
ज़िंदगी थी साथ ज़िंदगी के ,
काफ़ी अरसे तक मेरे ,
भूल जायेगा चंद लम्हों में वो ,
जो था नहीं कभी साथ मेरे ।
ख़बर मेरे मौत की भी पुरानी होगी,
धुँधली जिसकी कहानी होगी।
फिर आँसू बहाने को वो तैयार होंगे,
मौत के पास जाने को ना जाने ,
कितने और बेक़रार होंगे।।
गर हो सके तो मेरी मौत पर ,
ना आंसू बहाना।
वो चंद लम्हा ही सही ,
किसी अपने को दे आना ।
वरना जंग-ए-ज़िंदगी से,
और कहानियाँ मौत की।
आये दिन सुनते जाएंगे ,
चंद शब्दों वाले फ़ुल वो छोड़ जाएंगे।।
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