मुझसे जुड़ी एक ज़िंदगी ,
और भी है साथ मेरे ,
छिपते छिपाते चलते मेरे अपने ,
है जो हर पल खुलेआम पास मेरे ।
कभी वो ज़िंदगी रंगो में उलझ जाती ,
कभी वो ख़्वाबों के टूटने पर बिखर जाती ,
कभी तुम्हें मंज़ूर नहीं होती वो साथ मेरे ,
कौन बताये ,
ज़िंदगी भर वो रहेगी थामे हाथ मेरे ।
क्या दिल भी देखता है कोई ,
दिल लगाने के लिये ,
ज़िंदगी भर साथ निभाने के लिए ,
संग मेरे ,
मेरी ज़िंदगी को भी अपनाने के लिए ।
माना की आसान नहीं होता सफ़र ,
तीन जिंदगियों का हर बार ,
पर क्यूँ भूल जाती है ये दुनिया ,
इश्क़ है सबका आधार ।
मुझमे है कमी बस इतनी सी ,
और इतनी सी ही है ताक़त ,
हो मंज़ूर तो ले चलो साथ ,
ना कोई हिचकी ना कोई आफ़त ।
मुझसे जुड़ी है एक और ज़िंदगी ,
ज़िंदगी भर के लिये ।।
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