Saturday, July 25, 2020

ख़ुशनसीब

मैं ख़ुशनसीब हूँ आज मालूम पड़ा ,
जब मौत चौखट पर थी आ खड़ी ,
जाने की बेला अब थी पास आ रही ,
ज़िंदगी से कही दूर मुझे ले जा रही । 

बस पलट कर देखा उन चेहरों को ,
बग़ैर मेरे कैसे वो मुस्कुराएँगे ,
छूट कर जब इन ज़ंजीरों से ,
हम किसी और शहर निकल जायेंगे ।

क्या मालूम है इन्हें भी ये सच ,
शायद हाँ , पर शायद बिलकुल नहीं ,
एक रोज़ मौत इनके भी चौखट पर आयेगी ,
छोड़ यादें , लम्हे , वादे संग इन्हें ले जायेगी ।

क्या ये चेहरे तब भी यूँ मुरझाये होते ,
आँखों में आँसु , दिल में दर्द दबाये होते ,
मैं तो ख़ुश हुँ मेरे जाने का ऐलान हुआ है ,
बेवक्त नहीं कोई आख़िरी फ़रमान सुना है ।

वरना कहाँ मौत बता कर ,
ऐसे चौखट पर आती है ,
ना सुनती कोई कहानी ,ना वक़्त दे पाती है ।
बस एक पल में लेकर रूह ,कहीं गुम हो जाती है ।।

मैं ख़ुशनसीब हु आज मालूम पड़ा ..!!

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