Friday, December 25, 2020

मौत

क्या यही आख़िरी शब्द होता है ,
या आख़िरी सच होता है ,
क्या यही सब खत्म होता है ,
या महज ये एक प्रश्न होता है ।

कुछ तो जरूर होता है ,
मिलना जिससे एक रोज़ जरूर होता है ,
होता है खत्म जहा सबकुछ ,
या शुरू यादों में जिक्र होता है ।

करीब आकर भी पास नहीं आती ,
मीलों दूर हो कर भी दिख जाती ,
ना होता कोई नाम और कोई पैगाम ,
रूह जब जिस्म से बिछड़ जाती ।

वो आख़िरी पल गर मालूम होता ,
शायद वो कुछ और पल जी लेता ,
कर लेता खवाईशे वो अपनी पूरी ,
रह ना जाती कहानियां अधूरी ।

आज को आख़िरी मान कर जी लेते है ,
कल देखा ही किसने है ये मान लेते है ,
मौत से मिलना तो है नहीं हाथ में हमारे ,
खुल कर ज़िन्दगी ही जी लेते है ।। 

मौत से बैर नहीं ,
ज़िन्दगी से मोहब्बत कर लेते है ।।

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