तेरे लब जो बोले तो छिपे जो ,
तेरे होठों पर दिखे जो ,
जो है तेरी खुबसूरती का राज ,
आओ बताए दुनिया को आज ।
मेरी नज़र जब जब पड़ी ,
मैं ठहर सा गया ,
हटाने से नहीं हटी निगाहें ,
जब जब मैं देखता गया ।
रंग है काल जिसका ,
पर क्या खूब खिलता है ,
तेरे कांधे का वो तिल ,
तुझपर क्या खूब जचता है ।
है तो अनगिनत निशां मौजूद ,
तेरे खूबसूरती बताने को ,
पर है खास बहुत तिल ,
तेरी मुस्कुराहट सजाने को ।
मेरे शब्द भी घबरा रहे ,
अल्फाजों में जिन्हें सजा रहे ,
हैं तो हुस्न का समंदर वो ,
तिल बन लहर जिनमें ,
कहर बरपा रहें ।
गर कभी कोई पूछे मुझसे ,
क्या खुबसुरत तुम्हें बनाता है ,
तिल की मौजूदगी खुद बखूद ,
वो जवाब बयां कर जाता है ।
खूबसूरत सीरत तेरी तो रहेगी ,
हमेशा मेरे लिए सबसे अहम ,
तोड़ देना गर पाला है ,
खूबसूरती का कोई और वहम ।
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