Wednesday, May 25, 2022

अंधेरा इश्क़

इश्क़ निभाने रात में ,
वो सिर्फ़ अंधेरी रातों में आता है ,
दिन के उजाले से पहले ही ,
कहीं और गुम हो जाता है ।

ना लगाता दिल किसी से ,
ना दिल में बस पाता हैं,
सौदा खूबसूरत रातों का कर के ,
सौदागर बन जाता है ।

अंधेरी रातों में अक्सर ,
ये इश्क़ करने जब आता है ,
इश्क़ का तो पता नहीं ,
पर तन्हाई मिटाता हैं ।

भूल कर अपनी मोहब्बत ,
कैसे हर कोई इसका हो जाता हैं ,
तन्हा रातों में जब कभी ,
ये दरवाज़े पे आ जाता है ।

एक रात का इश्क़,
आज कल हर रात हो रहा हैं,
बन कर महबूब किसी गैर का ,
किसी गैर की बांहों में सो रहा है ।

जिस्मानी इश्क़ में ,
रूह ना जाने कहां खो गई ,
आज रात इस डगर ,
कल कहीं और सो गई ।।

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