Friday, July 18, 2014

ख़्याल

कुछ ख्वाइश भी है ,
कुछ औरों की फरमाइश भी है ,
और तुझे आजमाने की ,
आजमाइश भी है .

तु ख्याल है , ख्वाबो में ,
तु जवाब है , सवालों मेँ ,
तु कशिश है , कश्मकश में ,
तु रोशनी है  , अँधेरे में .

एक मन भी है , एक तन भी है ,
एक जीवन भी हैं , एक जान भी है ,
एक अरमान भी है ,
हो सकता है ,
कल तु बने मेरी पहेचान भी है .

वक़्त के बुरे हाल में ,
अब कुछ बंधा पाया है ,
जोड़ कर गाँठ रिश्तों की ,
खुद को तुझसे और करीब पाया है .

पर क्यों ना जाने ख़्याल ,
सवाल हजारों ले आते है ,
सोचना भी चाहता हुं उस पल को ,
तो मन मुझको उलझाते हैं .

कैसा है तेरा पैगाम ,
जो अब तक बेगाना है ,
कैसा है वो रिश्ता ,
जो अब तक अंजाना है .

वक़्त से वक़्त की दरकार हैं ,
जिंदगी को सच समझना बेकार हैं ,
जी लो खुद में खुद से ,
कही ना हो जाए  ,
खुद की सांसे बेकार है ...

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