Friday, July 18, 2014

बहरूपिया

जन्म के उस मुकाम से ,
मृत्यु के धाम से ,
जो मौत को बुला दिया ,
केजरीवाल ने काशी से चुनाव लड़ने का ,
कुछ उसी वक़्त ऐलान किया .

भ्रष्ट सत्ता , भ्रष्ट समाज की लड़ाई ,
आंदोलनो - अनशनो से चढ़ी थी जो चढाई ,
और अब सब कुछ भुलाकर ,
दंगो संग अम्बानी की याद आती है ,
कांग्रेस , राहुल और शीला को छोड़ ,
सारी कमी सिर्फ मोदी मे नजर आती है .

टोपी पहने , टोपी वाला ,
टोपी पहनाये जा रहा है ,
भरमा कर भ्रमित समाज को ,
अपना परचम लहरा रहा है .

वो अब जब उसका जन्म दाता ,
सिर्फ सच दिखता है ,
तो उसे आपना पिता भी ,
बिका नजर आता है ,
जोर - जोर से ,
मेरा जन्म दाता बिका है ,
ऐसा वो चिल्लाता है .

वो खुद ही नियम बनाता है ,
खुद ही पार्टी चलाता है ,
और तो और दुसरो पर ,
व्यक्तिवाद की राजनीति का आरोप लगाता है .

ये वो बहरूपिया है ,
जो खुद और राखी को ,
विधायक नहीं बताता है ,
देश की लड़ाई कह कर ,
सांसद बनाने आ जाता है .

राखी के प्यार से ,
या बिन्नी के मार से ,
बस एक बात समझ आता है ,
खुद के फैसलो को ही ,
सर्वोच्च बताता है .

दिल्ली छोड़ कर भागा ,
तो कांग्रेस संग बीजेपी को जोड़ ,
उन्हे गुनेहगार बना दिया ,
जनलोकपाल का सहारा लेकर ,
खुद को जनता का मशीहा करार दिया .

ये खुद की भाषा ,
और दुसरो का उपहास ,
नहीं चलेगी इस बहरूपिया की ,
अब कोई बकवास .

काशी जो तुम आ गये ,
अब लौट कर कहा जाओगे ,
यहाँ की जनता के हाथो ही ,
मोक्ष की प्राप्ति पाओगे .

शशांक विक्रम सिंह '' नेता ''


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