Thursday, December 26, 2019

बात उस रात की ..!!

उस रात अंधेरे मंज़र में ,
आसमा भी मायूस पड़ा था ,
ना थी रोशनी चाँद की ,
ना ही तारों का जमावड़ा ।

सुनसान से पड़े जज़्बात ,
उलझते मेरे अल्फ़ाज़ ,
तभी ख़्याल तेरा आया ,
था साथ जो हज़ारों सवाल लाया ।

भूल कर अपनी वो मोहब्बत ,
जिसे आख़िरी मान बैठे थे ,
तुझसे मिलने की हड़बड़ी में ,
ख़ुद से अनजान हो रहे थे ।

निकल कर अपने पते से ,
कुछ दूर ही चला था ,
मानो तुझसे जा ,
मैं उस पल ही मिला था ।

यू तो छाया घनघोर अंधेरा ,
पत्तों ने डालियों से मानो था मुँह फेरा ,
हवायें भी भूल गयीं हो रास्ता ,
या शायद रखना नहीं चाहता था कोई ,
उस मोहब्बत की तरह .. मुझसे वास्ता ।

बस अब टूट कर बिखरने ही वाला था ,
ना जाने कहाँ से तुम आ गई ,
तन्हाई से भी हो सकती है मोहब्बत ,
ये बात तब जा कर समझ आ गई ।

था नहीं मालूम ,
ये रात फिर लौट कर आयेगी ,
तन्हाई को समेटे ख़ुद में ,
मुझसे मोहब्बत कर जायेगी ..
ये रात फिर लौट कर आयेगी ॥

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