Sunday, December 22, 2019

मैं इज़हार करता हु .. वतन से प्यार करता हु !!

तुम गोलियों से मार रहे ,
धमाके लगा जश्ने बाज़ार रहे ,
हर तरफ़ मातम का मंज़र है ,
शोर कहाँ हो रह कम है ।

कहीं ख़ामोशी को कमज़ोरी समझ ,
तुम चिल्ला रहे ,
कहीं ग़ैरों की ख़ातिर ,
अपनो का ख़ून बहा रहे ।

मातम पर देखा है मुस्कुराते तुमको ,
बेवजह दे वास्ता “किसी” का ,
मासूमों का ख़ून बहाते हो ,
मजहबी करवाई उसे बतलाते हो ।

मंज़ूर नहीं सरकार अगर तो ,
वोट के वक़्त कहाँ छिप जाते हो ,
देते हो दुहाई संविधान की ,
जब भी उलझ जाते हो ।

जन के गड़ना से भी दिक्कत ,
जन गण से घबराते हो ,
देश के गीत को ,
जब मज़हबी रंग दे जाते हो ।

चंद घंटो की करवाई कह कर ,
सच तुम संसद का झुठलाते हो ,
गवाह रहाँ हैं मुल्क ये ,
जब मिटाने इस संसद को आते हो ।

क्यू दिक्कत नहीं होती सबको ,
आप चिल्लाते है ,
देश से आगे अक्सर ,
मजहब को रखते देखे जाते हो ।

कलाम को भगवान मान ये देश पूजता है ,
औरंगज़ेब की क़ुर्बानी सोच मन कुचेटता है ,
सहमत का क़र्ज़दार है ,
क्यूँ हो नहीं सकता तू भी इतना वफ़ादार है ।

देश सबका है ,
एक दफ़ा मज़हबी चादर उठा के देखो ,
एक दफ़ा इसे अपना बना के देखो ,
एक दफ़ा सिने से लगा के देखो ।

सुनने को ये मुल्क हम सबसे ,
बेताब है ... चलिये
मैं इज़हार करता हु .. वतन से प्यार करता हु !! ...

.... और आप !!

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