Sunday, December 29, 2019

ग़ायब

ना जाने क्यूँ ग़ायब है ख़ुशियाँ ,
ना जाने क्यूँ तेरा इंतज़ार है ,
ना जाने क्यूँ उलझी हु तुझमें ,
ना जाने ये कैसा प्यार है ।

हर सुबह खुलते ही आँखे ,
देखने को जिसे ख़्वाब संजोये थी ,
टूट गये अरमा उस पल ही ,
सामने जब ख़ामोशी मेरे खड़ी थी ।

दिन जो कट जाते थे जल्दी ,
और रात ख़्वाब बन उड़ जाता था ,
हर पल उसकी मौजूदगी से ,
ख़ुशनुमा हर लम्हा हो जाता था ।

तेरी ग़ैर मौजूदगी अब सताती है ,
ख़ुशियाँ बेवजह अधूरी रह जाती है ,
हाले दिल मैं किसे अपना सुनाऊँ ,
दिल में तेरे तस्वीर को कैसे छिपाऊँ ।


उलझी हु माँझे सी बन कर तुझमें ,
बन पतंग मुझे उड़ा ले जा ,
मेरी ख़ुशियाँ मुझे लौटा कर ,
ग़लतियों की सज़ा दे जा ।

ग़ायब हो तुम ,
ग़ायब तुम्हारा एहसास है ,
फिर भी तेरे लौट आने का ,
ज़िंदा मुझमे आस है ।

ग़ायब हो तुम ,
ग़ायब तुम्हारा एहसास है !!

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