Thursday, February 10, 2022

इश्क़ हो तुम

मुझे अब इश्क़ तुमसे ,
क्यों और गहरा होने लगा हैं ,
क्यों दिल की हर धड़कन पर ,
तेरा नाम रहने लगा है ।

रात के अंधेरे से शुरू सफ़र ,
दिन का उजाला बन गया हैं ,
तेरी हर एक अदा का जादू ,
मुझपर क्या खूब चल गया है ।

लड़ना झगड़ना और फिर ,
तुझे जी भर कर रुलाना ,
किसी और की मोहब्बत कह कर ,
अक्सर बेवजह सताना ।

जबसे गुजर कर शाम से ,
तू चांद से मिल गई है ,
देख ना खुद को आईने में ,
खातिर मेरे ... 
तू कितना बदल गई है ।

इश्क़ के हर किस्से में तू ,
सिर्फ़ अब बस तू ही रह जाना ,
मुझ जैसे किसी रोज़ तू भी ,
मुझे अपनी जिंदगी कह जाना ।

इश्क़ का ये किस्सा ,
जो मैं आज पढ़ रहा हूं ,
यकीन मानों ए जिंदगी ,
इस पल भी ,
मैं सिर्फ तुमसे गुजर रहा हूं ।।

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