Tuesday, February 1, 2022

बहरूपिया इश्क़

इश्क़ क्या है भला वो ,
जिसमे रकीब का भला ना हो ,
इश्क़ कैसा इश्क़ वो ,
जिसमें हर रोज़ सज़ा ना हो ।

इश्क़ की कहानियों में ,
सिर्फ़ वफा पर ही क्यों इतराते हो ,
किसी और की बेवफाई से पहले ,
क्यों नहीं खुद ही बेवफा बन जाते हो ।

इश्क़ के किस्से हर रोज़ ,
जो दुनिया हमें दिखाती हैं ,
क्यों बंद होते दरवाजों के ,
एक पल में कहीं खो जाती हैं ।

इश्क़ भला इश्क़ कैसा ,
जिसमें बिछड़ने की सज़ा ना हो ,
आप के जाने से पहले ही ,
इश्क़ को कोई और इश्क़ मिला ना हो ।

इश्क़ के पिंजड़े में कैद ,
अभी कितनो को पंख फैलाने हैं ,
छोड़ कर किसी अधूरे इश्क़ को ,
किसी के पूरे हो जाने हैं ।

इश्क़ में पड़ कर भी ,
इश्क़ में पड़ना बाकी हैं ,
मिल गया हमराही जरूर ,
पर हमसफ़र बनना बाकी हैं ।

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