Wednesday, February 16, 2022

फरेबी

हर कोई इश्क़ के लिए ,
मरा जा रहा हैं ,
देखो हमें तो इश्क़ में ,
मारा जा रहा है ।

हर पल ख्यालों में जिसके ,
उसे मेरा ख्याल क्यों नहीं ,
इतने उलझनों के बाद भी ,
मुझसे कोई सवाल क्यों नहीं ।

वक्त देने पर भी वक्त से ,
वो हर वक्त कहीं गुम रहता हैं ,
क्यों उसके जिक्र में छोड़ कर मुझे ,
अक्सर कोई और रहता है ।

ठहर कर क्यों नहीं मुझ तक ,
वो अपना सब लूटा जाता हैं ,
ना जाने किसी अधूरेपन की तलाश में ,
वो बस किसी और से मिल आता है ।

मैं तो ठहर गया था उस तक ,
उसे अपना आखिरी मुकाम मान कर ,
ना जाने क्यों वो नहीं ठहरा ,
मुसाफ़िर को अपना मान कर ।

इश्क़ में और कितना ,
वो मुझे हर रोज मारेगा ,
उतार कर नकाब फरेब का ,
कभी तो झूठ भी सच से हारेगा ।।

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