कभी किसी के इश्क़ से ,
इश्क़ कर देखना ,
वो तुमसे इश्क़ करने लगेगा ,
गर इश्क़ में वो अधूरा रहेगा ।
लगेगा जैसे इश्क़ लौट कर ,
अब फिर से जिंदगी में आने को है ,
छोड़ कर इश्क़ को अपने ,
तुमसे दिल लगाने को है ।
पल भर में जिंदगी ,
जहन्नुम से जन्नत लगने लगेगी ,
जिस रोज़ शिद्दत से आकर ,
इश्क़ करने को वो कहेगी ।
लौट कर जिंदगी में उसके ,
फिर कोई नया शख्स आयेगा ,
तुमसे भी बेहतर जो ,
उससे इश्क़ निभायेगा ।
अभी तो ठीक से उसे ,
मैंने जाना भी नहीं था ,
या फिर उसने मुझे,
कभी अपना माना ही ना था ।
क्योंकि पेशेवर आशिक़ तो ,
ऐसे ही इश्क़ निभाते हैं,
किसी नए के आने पर ,
फिर से इश्क़ में पड़ जाते हैं ।।
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