Friday, October 18, 2019

आँसू

दिल में भरे हर बोझ को ,
एक पल में जो हर लेता है ,
नम पलकों को कर के ,
गालों को तर देता है ।

कभी ख़ुशी में बहता ,
कभी ग़म में बरस जाता ,
बेवजह भी अक्सर ,
ये आँखों से छलक आता ।

ना कोई रंग होता इसका ,
ना ही होता कोई मौसम ,
ना ही कोई साथी ,
ना ही कोई हम दम ।

ना जाने क्यूँ लोग इसे ,
अक्सर छिपाते है ,
आते ही इसके सामने ,
बेवजह ही इसे मिटाते है ।

देता होगा ग़म ज़माने को ,
वजह किसी के मुस्कुराने को ,
पर कोई इससे दिल नहीं लगाता ,
कोई मोहब्बत की क़समें नहीं खाता ।

बहा कर ख़ुद को ग़ैरों की ख़ातिर ,
सुकून दिल को दे जाता है ,
पत्थर हो चले दिल को ,
अपने निर्मलता से पिघलाता है ।

ये आँसू ही है ,
जो ग़म और ख़ुशी ,
दोनों में साथ निभाता है ,
बेरंग हो कर भी .. रंग छोड़ जाता ।।

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