Tuesday, October 22, 2019

आज़ाद “आवारा” दिल

आज़ाद चिड़ियाँ सा ,
दिल अमूमन है होता ,
कभी इस डाल कभी उस डाल ,
है वो हो लेता  ।

ना रहता क़ैद पिंजड़े में ,
ना छोटी सी दुनिया सजाता ,
उड़ कर खुले आसमान में ,
आसमान को घर बताता ।

क़ैद कर के दिल को ,
क्यूँ किसी पर क़ुर्बान कर जाये ,
क्यूँ नहीं आज़ाद कर के ,
हर दफ़ा शिद्दत से मोहब्बत कर जाये ।

ना एहसासो का समंदर होगा ,
ना सुख जाने पर बंजर होगा ,
ना दिखेंगे पैरों के निशा उनके ,
जिनके जाने पर ये मंज़र होगा ।

ना खायेंगे क़समें तोड़ जाने को ,
ना निभायेंगे वादे साथ आने को ,
ना ही जज़्बातों में जंग होगी ,
बेवजह ना वो मेरे संग होगी ।

कौन कहता है आती है मौत ,
उस ज़िंदगी के जाने से ,
कौन कहता है आ जाती है ज़िंदगी ,
एक दफ़ा फिर से मौत से मिल आने से ।

आज़ाद “आवारा” दिल ,
कभी किसी का दिल नहीं दुखाता ,
धड़कनो के बदलते शोर से ,
अपने रास्ते लौट जाता ।