Sunday, July 28, 2019

फूँल

तोड़ कर लाते है जान किसी की ,
किसी के ख़ुशी के लिये ,
बना गुलदस्ता उसके लाशों का ,
देते है अक्सर हम ,
किसी रिश्ते की ज़िंदगी के लिये ।

रंग उसके फिर भी नहीं बेरंग होते ,
ना ही मायूसी नज़र आती है ,
बिछड़ कर ज़िंदगी से अपने ,
ख़ुशियाँ हमें दे जाती है ।

मौक़ा हो ज़िंदगी का या मौत का ,
हर दफ़ा वो छोड़ अपनो का साथ ,
हमसे मिलने चली आती है ,
बिना उसके मौजूदगी के ,
कुछ कमी रह जाती है ।

काँटो से घिर कर भी ,
नहीं कभी घबराती है ,
मुश्किलों में भी हँसते रहना ,
हमें वो सिखाती है ।

ख़ुशबू से जिसके शमा ,
हर वक़्त महकता हैं ,
जो छोड़ कर अपनी धड़कन ,
दूसरों के लिये धड़कता है ।


मुर्झा जाती है मोहब्बत पहले ,
फूँल तो वक़्त लगाते है ,
अंग्रेज़ी वाले फ़ूल बन ,
हम फिर उन्हें तोड़ने आ जाते है ।

मालूम नहीं कोई अपनी मौत पर,
इस क़दर कैसे मुस्कुरा लेता है ,
ख़ातिर औरों के मोहब्बत की ,
ख़ुद को गवा देता है ।

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