गर आंखे होती है सच्ची ,
तो सच ही देखा होगा ,
खूबसूरती छिपी निगाहो में उनके ,
सब ने देखा होगा ।
पर देखा जो हमने ,
वो मोती के आंसू थे ,
गाल लाल और सिसकियों से ,
लगते वो खूबसूरत काफी थे ।
है मासूम वो ,
या हम गलतफहमी पाले बैठे है ,
ये तो वक्त बतायेगा ,
पर बेवजह अब मोती ,
आंखों से नहीं बहने को आयेगा ।
कब कैसे और क्यों शुरू हुआ ,
मुश्किल है ये बता पाना ,
अजनबी बेशक हैं हम आज भी ,
कल क्या हो किसने जाना ।
खत्म होना ही लिखा है गर नसीब में,
हमे ये भी मंजूर है ,
बहते मोती हमें मुबारक ,
तेरा ना कोई कसूर है ।
गर नहीं हो तुम मेरी तकदीर में ,
हम यकीनन लौट जायेगा ,
वादा है ,
मेरी आंखे से अब मोती ,
आप बहा ना पाएंगे ।
यकीनन हम दूर बहुत दूर ,
वक्त के साथ चले जायेंगे ,
लौट कर शायद फिर कभी ,
हम ना आ पायेंगे ,
दूर बहुत दूर चले जायेंगे ।
अलविदा
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