मेरे इस बदलाव से ,
मेरा ही नुकसान होगा ,
शायद ये वो नहीं ,
जो मेरा आखिरी मुकाम होगा ।
किसी की खुशियों के जिद्द मे ,
खुद को नीलाम कर आओ ,
ऐसे तो नहीं थे तुम ,
वक्त है .. अपनी दुनिया मे लौट आओ ।
पहली नजर पहला एहसास ,
लगी खूबसूरत और खास ,
क्या पता सब एक तरफा था ,
उसके खुशियों के लिए ,
जो वो इतना तरसा था ।
चंद लम्हों में कैसे कोई इतना ,
करीब आ जाता है ,
वही चंद लम्हों में ही ,
बहुत दूर चला जाता है ।
गर सफर लंबा और ,
खुबसूरत हो सकता था ,
अंजाने में हुई गलतियों को ,
वो माफ कर सकता था ।
पर जब जरूरत ही नहीं ,
उसे तुम्हारे मौजूदगी की ,
क्यों उसे अपनी मौजूदगी जता रहे हो ,
सुनसान रास्तों पर उसे ढूंढते जा रहे हो ।
तुम्हारे हिस्से में गर लिखी है खुशी ,
एक रोज मिल जायेगी ,
मत लगाओ उन रास्तों पर फरियाद ,
जहां वो कुछ नहीं सुन पायेगी ।
शायद मैंने ही कुछ जादे ,
सोच लिया था ,
बेवजह ही किसी गैर के ज़ख्म का ,
दिल पे बोझ लिया था ।
वक्त लगेगा जरूर खुद को मानने में ,
तेरी तस्वीर झुटलाने में ,
पर कोई तो होगा .. कही जरूर ,
बेवजह ही मेरा साथ निभाने मे ।
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