Wednesday, May 12, 2021

खत

हुआ तो जुल्म है मुझसे ,
पर माफ़ी तो होगी ,
बांध कर सीतम के जंजीरों में ,
सजा के बाद रिहाई तो दोगी ।  

तुम्हारे हिस्से की कुछ कहानियां ,
तुम को समझ हम किसी और को सुना आए ,
खत जो लिखा करते थे खातिर तेरे ,
वो किसी और के पते पर छोड़ आए ।

हैं आज भी बचा रखे कुछ खत ,
मैंने बेहद संभाल कर ,
और कुछ छिपा रखे ,
मैंने दिल के संदुख में डाल कर ।

हां वो पहली दफा वाली ,
अब बात ना होगी ,
तुमसे कही हर बात ,
पहली बार ना होगी ।

ना होगा वो एहसास पहली बार का ,
जो सालों से तुम्हारे लिए छिपा रखा था ,
जिंदगी के पहले दिन से आखिरी तक ,
हर लम्हें को खूबसूरत बनाने की ,
कसम जो खा रखा था ।

हां तोड़ा है वादा मैंने ,
बिना तुम्हारे जिंदगी में आए ,
शायद आखिरी दफा होगा ये ,
जो तेरे हिस्से के अल्फाज़ ,
कहीं और छोड़ आए ।

गर बचा रखा है कुछ आज भी ,
बिना किसी बटवारे के ,
मोहब्बत है वो मेरी ,
जो नहीं चलेगी बिना तुम्हारे सहारे के ।

"प्रिय तुम "
मालूम नहीं इस वक्त तुम कहां होगी ,
ना जाने इन्हें तुम कब पढ़ोगी ,
पर लिख रहा हूं और खत ,
फिरसे तुम्हारे नाम के ।

अनगिनत है कहानियां जिनमें ,
कुछ हमारे कुछ गुमनाम के ।।

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