तुम मेरा ख़्वाब हो ,
पर कभी सच तो होगी ,
कल्पना से बुनी खूबसूरत एहसास ,
किसी रोज उसकी मौजूदगी तो होगी ।
कितना जिता हु जिंदगी में ,
तुम को अपनी ताकत मान ,
मौत आकर भी गुजर गई ,
जब जाना उसने तुम्हारा नाम ।
मेरी प्रेरणा हो तुम और मेरी ताकत ,
करुणा भी है और है नज़ाकत ,
खूबसूरत भी हो और सीरत साफ ,
खुशनसीब हु मैं जो तुम हो मेरे साथ ।
मेरी जिंदगी का वो कोई एक पन्ना नहीं ,
जहां तुम्हारा जिक्र नहीं ,
कल्पनाओं से बुनी मूरत हो तुम ,
जिसका कोई रूप नहीं ।
पर फिर भी ,
तुम पास मेरे साथ मेरे ,
हर पल रहती हो ,
ख्वाबों में सही ,
आकर दिल की बात कहती हो ।
तुम को पाने की जिद कहूं ,
या तुम्हें खोने का डर ,
या कहूं कल्पनाओं वाली मोहब्बत ,
करना है संग जिसके जिंदगी बसर ।
No comments:
Post a Comment