Sunday, May 30, 2021

बसर

तुम मेरा ख़्वाब हो ,
पर कभी सच तो होगी ,
कल्पना से बुनी खूबसूरत एहसास ,
किसी रोज उसकी मौजूदगी तो होगी ।

कितना जिता हु जिंदगी में ,
तुम को अपनी ताकत मान ,
मौत आकर भी गुजर गई ,
जब जाना उसने तुम्हारा नाम ।

मेरी प्रेरणा हो तुम और मेरी ताकत ,
करुणा भी है और है नज़ाकत ,
खूबसूरत भी हो और सीरत साफ ,
खुशनसीब हु मैं जो तुम हो मेरे साथ ।

मेरी जिंदगी का वो कोई एक पन्ना नहीं ,
जहां तुम्हारा जिक्र नहीं ,
कल्पनाओं से बुनी मूरत हो तुम ,
जिसका कोई रूप नहीं ।

पर फिर भी ,
तुम पास मेरे साथ मेरे ,
हर पल रहती हो ,
ख्वाबों में सही ,
आकर दिल की बात कहती हो ।

तुम को पाने की जिद कहूं ,
या तुम्हें खोने का डर ,
या कहूं कल्पनाओं वाली मोहब्बत ,
करना है संग जिसके जिंदगी बसर ।

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