Friday, December 31, 2021

मुसाफिर का सफर

ए जिंदगी जिस सफर पे ,
आज कल तू लेकर चल रही हैं ,
यकीनन कुछ तो खूबसूरत ,
बस होने को है ।

इंतजार हर शख्स में था जिसका ,
वो शायद मिलने को हैं ,
या फिर कोई उस जैसा ,
मिल कर बस बिछड़ने को है ।

जिंदगी ने चंद रोज़ में जो दिखाया ,
वो इतने सालो से क्यों गुम था ,
क्यों कुछ बेहतर की कोशिश में ,
हर कोशिश में कुछ कम था ।

जिंदगी और भी बहुत कुछ ,
अब तुझे दिखाना हैं ,
गर आज नहीं बेहतर तो क्या हुआ ,
कल खूबसूरत बनाना हैं ।

ख़्वाब था कल जो मेरा ,
आज वो सच होने लगा हैं ,
आज के सच को देख कर ,
कल के ख़्वाब सजोने लगा हैं ।

जिंदगी चल इस दफा ,
हम तुझे मुसाफिर बनाते हैं ,
बिना रुके किसी मंजिल पर ,
बस चलते जाते हैं ।

और तुम .. मुबारक हो ,
बेहतर कल की ख्वाइश में ,
आज भूल बैठे हो ,
क्या तुम भी खुद को ,
कोई मुसाफिर माने बैठे हो ।।

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