Wednesday, December 1, 2021

इंतजार रहेगा

गुजरा वक्त लम्हों में ,
कितना लंबा लग रहा हैं ,
मानो जैसे इस फ़रियाद को ,
एक अरसा हो चला हैं ।

बहुत से एहसास और अल्फाज़ ,
हमने मिल कर सजाएं हैं ,
दूर हो तुम मुझसे तो क्या ,
हम कहां तुम्हें भूल पाएं हैं ।

तुम मेरे हर सच को ,
हमेशा जिंदा कर देती हो ,
फुर्सत के दो पल जब भी ,
अपने हिस्से कर लेती हो ।

तुम अक्सर छोड़ कर जब ,
महफ़िल से जाया करती थी ,
इंतजार रहेगा सुनने के इंतजार में ,
रुक जाया करती थी ।

पर कहां अब जाने को ,
तुम महफिलों में आती हो ,
कर के पराया अपने ही घर को ,
किसी और का घर बसाती हो ।

रहेगा इंतजार लौटने का तुम्हारे ,
लौटने पर और शब्द सजाएंगे ,
बाकी रहे जज़्बात तुमसे ,
फिर कभी और बताएंगे ।।

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