Monday, November 29, 2021

तुम कौन हो

तुम कौन हो मेरी ,
और क्या मैं तुम्हारी पहचान बताऊं ,
पहले मैं तो तुम्हें ,
तुम कौन हो ये जान जाऊं ।

तुमको मैं अपना सुकून कहूं ,
या फिर बेकरारी बढ़ाऊ ,
तुम्हारी मुस्कुराहट के बदले ,
मैं अपना सब कुछ लुटाऊ ।

तुम मेरी हर उलझन को ,
कैसी सुलझाने लगी हो ,
मुझ से भी बेहतर ,
तुम मुझे पहचानने लगी हो ।

तुम मेरे जिक्र में हो हर पल ,
पर फिक्र मेरी तुम्हें सताती हैं ,
बिना कुछ कहे लबों से अपने ,
तुम्हारी आखें सब कह जाती हैं ।

हर दफा गुजर कर जब भी तुम ,
मुझसे कही दूर जाती हो ,
अंजाने में ही सही ,
पर तुम मुझे बहुत सताती हो ।

तुम कौन हो भला ,
जरा खुल कर मुझे बताओ ,
मेरे ख्याल से निकल कर ,
कभी सामने आ जाओ ।

आओ ज़रा खुल कर महफ़िल में ,
सब इंतजार में बैठें हैं ,
तुम कौन हो भला ,
ये मुझसे पूछते रहते हैं ।

तुम मेरा सुकून , 
तुम मेरी खुशी हो ,
तुम मेरा आखिरी सच ,
तुम ही जिंदगी हो ।।

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