तेरे जाने के बाद से ,
सब कुछ मैं भूलने लगी हूं ,
बीता हुआ कल मान कर तुझे ,
आज में जीने लगी हूं ।
हर याद जुड़ी जो तूझसे ,
अब धुंधली होने लगी हैं ,
चल होने को हैं सवेरा ,
जिंदगी मुझसे कहने लगी है ।
एक टुकड़ा तेरे हिस्से का ,
आज भी मैंने बचा कर रखा है ,
आखिर टुकड़ा मान कर जिसे ,
दुनिया से छिपा रखा है ।
ना हुई ख्वाइश मेरी पूरी ,
ना रहें हम ताउम्र साथ में ,
सब कुछ तो खो दिया मैंने ,
तुझे पाने के फ़िराक में ।
मेरे हर अंत की शुरुआत तुमसे ,
तो भला ये किसी और के हिस्से ,
कैसे कभी जा पायेगा ,
लौटने पर तेरे आने पर ,
बस तेरे ही हिस्से आयेगा ।
मेरे लिए ये आखिरी टुकड़ा नहीं ,
मेरी आखिरी कोशिश होगी ,
मुक्कमल ना हो सकी ख्वाइश ,
शायद इस आखिरी टुकड़े से पूरी होगी ।।
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