आज मेरे नाम ,
एक ख़त आया था ,
जिसमें तेरा कोई ,
पैगाम आया था ।
हां बीत गए कुछ महीने ,
या शायद पूरा एक साल ,
भूल गया बताना ,
तुमको अपना हाल ।
हर रोज सुबह उठता हु जब ,
तेरी याद बहुत सताती है ,
चुपके चुपके आंखो की ,
नमी में तू छिप जाती है ।
हर रात सोने से पहले ,
तेरा ख्याल मुझे सताता है ,
बाहों में आ जाओ तुम ,
सोच कर ये दिल सो जाता है ।
कभी खाली पेट जो सोता मैं ,
तुम आकर ख्वाबों में ,
भर पेट मुझे खिलाती हो ,
हर दफा जब भेजे खत में ,
इज़हारे मोहब्बत कर जाती हो ।
हां लगता है दर खोने का तुमको ,
फिर भी नहीं घबराता हु ,
तेरे खत के इंतजार में ,
और जीता चला जाता हूं ।
हर दफा जब पढ़ता उसको ,
आखिरी मान लेता हु ,
मालूम नहीं कल सुबह ,
मेरे हिस्से में है भी की नहीं ,
हर शाम तुझे जी लेता हूं ।
तेरा खत फिर मिला मुझे ,
रक्त से जो भरा हुआ था ,
अल्फाज़ नहीं बस उसमें ,
तेरी तस्वीर से वो खत सजा हुआ था ।
देख कर तेरे खत को ,
एक बूंद तेरे गाल पर ,
मेरी आंखों से जा गिरी ,
बस इतनी सी थी खत में ,
कहानी तेरी मेरी ।।
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