Wednesday, January 19, 2022

आखिरी टुकड़ा

तेरे जाने के बाद मुझे ,
तेरा एक जुठा तौफा मिला है ,
वो आखिरी टुकड़ा पड़ा हैं पास मेरे ,
जो तूने मेरे नाम करा है ।

लबों पर बसा कर इसको ,
दिल में उतार ले जाऊ ,
या समझ कर जुठा किसी गैर का ,
कूड़े में फेक आऊं ।

बड़े ही कश्मकश से गुजर रहा ,
आज मेरा ये दिल हैं ,
क्या सच में ये टुकड़ा ही ,
इस रिश्ते की आखिरी मंजिल है ।

मैं फेक इसको भला ,
क्यों किसी गैर को होठों से लगाने दू ,
जुठा भला उसका कैसे ,
किसी और को अब मैं खाने दूं। 

अमृत सा लगने वाला हर जुठा ,
आज जहर सा क्यों लग रहा हैं ,
मेरे हिस्से का जुठा ,
अब किसी और के ,
होठों से क्यों गुजर रहा है ।

छोड़ कर तूने मुझे ,
एक पल में लावारिश बना दिया ,
खा कर तेरा आखिरी टुकड़ा ,
मैंने खुद को मिटा दिया ।

क्या सच में आखिरी निशानी ,
आपको इतना सताती हैं ,
जिंदगी सी लगने वाली मोहब्बत ,
मौत बन जाती है ।

आखिरी टुकड़ा तेरा आज भी ,
थोड़ा छूटा पड़ा हैं ,
तेरे मरने के इंतजार में ,
वो जुठा पड़ा हैं ।

गर थी मोहबब्त मुझसे थोड़ी ,
तो आखिरी टुकड़े को होठों से लगा जाना ,
अमृत से बन चुके जहर को ,
तुम भी चख आना ।

जिंदगी का तो पता नहीं ,
पर मैं मिलने जरूर आऊंगी ,
आखिरी टुकड़े का वास्ता ,
मौत के बाद ही सही ,
बस तेरी हो जाऊंगी ।।

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