Wednesday, January 26, 2022

हमसफ़र

ख़बर जब मेरे मौत की ,
आज मेरे शहर में आयेगी ,
जब लिपट कर मेरे लाश से ,
उनपर वो अपने अश्रु बहाएगी ।

हां छोड़ जा रहा तुमको मैं ,
तुम्हारे इस हाल में ,
जिंदगी के अनगिनत ,
उलझे जंजाल में ।

पर है भरोसा तुम पर  ,
तुम इस दौर से भी निकल जाओगी ,
मुझ जैसे तुम भी ,
देश की खातिर रक्त बहाओगी ।

बहुत हुआ अश्रु का बहना ,
अब और इसे मत बहाना ,
शान से लेकर तिरंगा ,
तुम उसे फहराना ।

जो लगे डर कभी ,
मेरा एहसास तुम्हारे साथ होगा ,
वो बर्दी मात्र नहीं है मेरी ,
मेरी रूह का उसमें एहसास होगा ।

है मुश्किल ये जानता हूं मैं ,
खुद को गुनेहगार मानता हु मै ,
छोड़ गया इस हाल में मैं तुम्हें ,
इसका कसूरवार खुद को मानता हूं मैं ।

था मेरे हिस्से में बस ,
इतना ही तुम्हे दे पाने को ,
देश के खातिर रक्त बहाने ,
और तुझसे मोहब्बत निभाने को ।

मैं चला अब अपने सफर पर ,
तुम भी अब खड़ी हो जाओ ,
ठीक मुझ जैसे ,
तुम भी देश के लिए रक्त बहावो ।

मांग में सिंदूर नहीं अब तुम्हारे ,
मैं जिसे मिटा बैठा हु ,
देश के लिए जिंदा रहे रूह मेरी ,
इस लिए तुम्हारे रूह में आ बैठा हूं ।

मैं रहूंगा जिंदा तब तक ,
जब तक तुम्हारी जिंदगी है ,
यही तो ख़ूबसूरत हमारी ,
ताउम्र की बंदगी है ।

उठ खड़े हो साथी ,
अभी तुमको लड़ना बाकी है ,
मिटा दो आंखो से अश्रु ,
कुछ रक्त बहना बाकी है ।।

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