Friday, January 21, 2022

बर्बाद इश्क़

इश्क़ में तो हूं मैं कई रोज़ से ,
पर कई रोज़ से इश्क़ कहां है ,
दिल धड़कता तो बेशक है मेरा ,
पर दिल की धड़कन कहां है ।

एक ही दिल को कई दिलों से ,
उसके एक सा लगाने पर ,
मैं रोज़ मनाता जिसको ,
हर दफा रूठ जाने पर ।

कितना मज़ा मुझे सताने में ,
ए जिंदगी तुझे आ रहा हैं ,
इश्क़ मेरा जब छोड़ कर ,
किसी और की बाहों में जा रहा है ।

मुक्कमल मेरी हर ख्वाइश हो रही ,
इश्क़ में बर्बाद होने की ,
हर दफा उसके हर झूठ के बाद ,
खुद को आंसुओ से भिगोने की ।

दर्द मैंने भी कम दिया क्या इश्क़ में ,
जो वक्त सब दोहरा रहा हैं ,
कह कर मोहब्बत मुझसे सच्ची ,
किसी और को महबूब वो बता रहा है ।

इश्क़ ना हो तो बेहतर है ,
इश्क़ में बर्बाद होने से ,
किसी गैर को अपना कह कर ,
उसकी बाहों में सोने से ।

इश्क़ तेरा ये रंग भी ,
आज मैंने देख लिया ,
अंजाने में ही सही ,
"सुनो जान" मैंने सब देख लिया ।।

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