Monday, August 16, 2021

तुम्हारा एहसास

आज दिल से ये कैसा एहसास टकराया ,
पहली दफा में ही जो उसका हो आया ,
कुछ तो अलग सी उनमें बात थी ,
गैरमौजूद हो कर भी वो मेरे साथ थीं ।

बिखरी सिर्फ जुल्फें नहीं ,
बिखरे अरमान भी थे ,
होंठो पर थी झूठी मुस्कान ,
जिससे हमें छोड़ सब अंजान भी थे ।

चंद पल की जिंदगी में ,
जिंदगी पल भर सी लगने लगी ,
फिज़ा जब इस महफिल की ,
तेरी खुशबू से महकने लगी ।

तुम शाम के उस सर्द हवा सी लगती हो ,
हर दफा जब मुझसे गुजरती हो ,
कुछ मचलता है दिल मेरा ,
ऐसा जुल्में सितम तुम हर रोज करती हो ।

तेरे हिस्से का गम नहीं ,
तेरे हिस्से की खुशियां लौटाने आया हु ,
छूट गया था जो कुछ अधूरा ,
पूरा करने आया हु ।

कहने को बचा ही नहीं कुछ ,
सब तो हम कह चुके है ,
एक ही तो था दिल पास मेरे ,
वो भी तुझे दे चुके हैं ।

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