Tuesday, August 17, 2021

साज़

तेरी आवाज़ ही तेरा साज़ है ,
खूबसूरत अल्फाज का राज़ है ,
तेरी बिंदिया ही तेरा गहना है ,
बाकी तेरा क्या ही कहना है ।

तुम पर जचती है खुशी ,
पर रुक नहीं पाती ,
गम से भागती हो दूर ,
पर अक्सर थक जाती ।

है किस्से कहानियां तुमसे भी जुड़े ,
हुए हैं तुम्हारे भी दिल के टुकड़े ,
पर आज भी तो दिल लगाती हो ,
हर दफा जब इश्क़ निभाती हो ।

सुकून के तलाश में ,
हर दफा उसे बेचैनी ही मिली है ,
इश्क़ का मुकम्मल ना होना ही ,
शायद उसकी जिंदगी है ।

रात के अंधेरे से क्या ही डरे वो ,
दिन के उजाले का अंधेरा डराता है ,
हर दफा जब रूह में बसने वाला ,
सिर्फ उसका जिस्म छू कर चला जाता है ।

तू लड़ रही है जिंदगी से ,
या जिंदगी तुझसे लड़ रही ,
खामोशियों के घर में भी ,
तू इतना शोर क्यों कर रही ।।

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