मेरे रक्त से परिपक्त जो ,
निर्मल बहती धारा है ,
देश की मिट्टी मेरी ,
ये वतन हमारा है ।
मैं रण में लड़ने को तैयार सदा ,
मां पर मर मिटने का वरदान मिला ,
देश की हिफजात मेरे हाथों में ,
किस्मत से मुझे ये सम्मान मिला ।
रक्त का आखिरी कतरा भी ,
मां तेरे लिए बहाऊंगा ,
मैं बलिदान देने ,
सदा तेरा बेटा बन कर आऊंगा ।
जंग में हार हो या जीत हो ,
गर मां का भरोसा अटूट हो ,
कौन भला शिकस्त दे पायेगा ,
हार कर भी तू जीत जाएगा ।
शाहिद होने का ,
अब मुझे कोई गम नहीं ,
मां की गोद से बेहतर ,
होगा क्या स्वर्ग कहीं ।
फर्ज़ निभाते हुए कभी ,
गर मैं थक जाऊंगा ,
बस मां की गोद में ,
जाकर सो जाऊंगा ।
रक्त का आखिरी कतरा भी ,
मां की रक्षा में बहाऊंगा ,
होगा सौभाग्य मेरा ,
गर शाहिद कहलाऊंगा ।।
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