मुझसे भी जादे इश्क़ करने वाला ,
कोई शख्स मुझे मिला था ,
पागल , झल्ला और दीवाना ,
जो लग रहा था ।
उसकी हर एक अदा में ,
अनगिनत कहानियां छिपी थी ,
लबों से रह गई अधूरी बातों को ,
आंखो से जो वो कह रही थी ।
चंद रातों की बातें ,
अब जज़्बात बनने लगे थे ,
अंजाने में ही हम दोनों ,
एक जुल्म कर रहे थे ।
तुमने खाई थी कसम ख्वाबों में ,
सच में जिसे निभा रही थी ,
हो ना जाए इश्क़ मुकम्मल कहीं ,
इस लिए दूर जा रही थी ।
मैं तो इस सच से ,
अब तक था बेखबर ,
लगा छोड़ क्यों गया ,
बिन कुछ कहे हमसफ़र ।
वादा तो किया था उसने ,
ताउम्र साथ निभाने का ,
पर था नहीं तब डर ,
सच में इश्क़ के हो जाने का ।
पर अब कोई शिकायत नहीं ,
ना ही किसी ओर शोर है ,
हम दोनों का ही रास्ता ,
और मंजिल कोई और है ।।
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